Wednesday, 6 January 2016

व्याप्त बुराई समाज के लिये घातक, शासन सुझाए जा रहे उपायों पर विचार करे ।


व्याप्त बुराई समाज  के लिये घातक, 

शासन सुझाए जा रहे उपायों पर विचार करे ।



मित्रों,  सादर जयहिंद ।
मानव मन पर नियंत्रण का अभाव ही हर प्रकार के लोभ,  आकर्षण, अप्रामाणिकता, अपराध, अनैतिकता, नारी छेडछाड, व्यभिचार बलात्कार आदि को उत्प्रेरित करता है । पढनें में यह भी आया है कि शिशु व बाल अवस्था की बच्च्चीयां भी समाज कंटकों के हवस का शिकार हुई है ।
औसतन प्रतिदिन ९२ से ज्यादा रेप होना निश्चित ही चिंताकारक है ।
मानव " स्व "  तक सिमित व भीरु-तमाशबीन बन बैठा है ।
यह सभी स्थितियां पाशविक  या  दानव प्रवृत्ति का द्योतक होते हुए देश और समाज के लिए अत्यंत घातक है । हम सभी को इस समस्या पर विचार की आवश्यकता होना चाहिए ।

अत: मेरा सरकार से विनम्र आग्रह है व प्रार्थना कि देशभर में विद्यालयीन तथा महाविद्यालयीन स्तरों पर  " मानव के मन पर नियंत्रण का पाठ्यक्रम बने व कठोरता से यह सर्वत्र लागू हों । "

साथ ही साथ सुसभ्य समाज निर्मीती के लिए सरकार देशभर में
" सार्वजनिक आध्यात्मिक शुद्धता केन्द्रों की स्थापना करे और इन केंद्रों का संचालन सक्षम सुयोग्य प्रामाणिक बुजुर्गों द्वारा कराने का राष्ट्रीय स्तर पर कार्यक्रम लागू करे । "

यद्यपि उपरोक्त  " नैतिक चारित्र्य गठन कार्यक्रम " द्वारा सुसभ्य समाज की प्राप्ति के सद्परिणाम निश्चित ही दीर्घकाल की प्रतिक्षा के बाद मिलेंगे, किंतु यह सभ्य समाज के निर्मिती के लिये स्थायी रामबाण उपाय है ।"

♥ मित्रों,  उपरोक्त समस्या के शीघ्र हल के लिये एक और उपाय लागू किया जा सकता है ।♥

♡  अब प्रोन्नत वैज्ञानिक अनुसंधानो नें सिद्ध किया है कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी का अधिकतम उपयोग करके मनुष्य को नियंत्रित किया जा सकता है   और  वह इस व्यवस्था में नियमित बंध जानें के कारण स्वमेव सुसभ्य व्यवहार एवं  प्रामाणिक बने रहने के लिए बाध्य हो सकता है । 

शासन को सभ्य समाज की निर्मिती और युवाओं के लिए नये रोजगार व्यवसाय की स्थापना के लाभ का विचार करते हुए तत्काल तकनीकी पद्धतियों की स्थापना पर अधिक बल देकर मनुष्य का मन नियंत्रित करने के स्वचलित व्यवस्था को प्रबल करना उपयुक्त होगा ।

अंत में निवेदन है कि  " देश रक्षार्थ इस संदेश को अधिकाधिक नागरिकों के माध्यम से शासन की ओर बार बार भिजवाने का और इसे लागू करवाने का आग्रह हो, यह अपेक्षित और निवेदित है, क्योंकि भ्रष्टाचारमुक्ति के लिए बने हुए कानूनो की धज्जियां नही उडे इस बात का विचार करके ही विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ( ई-गवर्नेंस) पर बल देना आवश्यक प्रतीत होता है । "
धन्यवाद.
.............. चंद्रकांत वाजपेयी.
गैरराजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद. [ महाराष्ट्र  ]Email : chandrakantvjp@gmail.com

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