Friday, 19 December 2014

क्या धर्मांतरण / घर वापसी आदि देश की शान्ति, प्रगति, सामाजिक समरसता व एकात्मता में बाधक है ?

१९-१२-२०१४.
क्या धर्मांतरण / घर वापसी,

 देश की शान्ति, 
प्रगति, सामाजिक समरसता -

और  भारत की एकात्मता में बाधक है ?



प्रिय पाठकों - मित्रों,

निम्नलिखित देखकर व  पूरा पढकर आपकी  
क्या राय है ?

-कृपया ई-मेल द्वारा अवगत कराएं, // अग्रिम आभार.\\ धन्यवाद 
//

ई-मेल :-- chandrakantvjp@gmail.com



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|| देश में सुख, शान्ति और प्रगति व समृद्धि के लिये ||निम्नानुसार परस्पर सम्बन्ध स्थापित करनें की जरुरत है  >    
                  


myth vs fact rss
RSS treats Muslims, Christians and everyone else in India, irrespective of caste and creed as cultural Hindus. Hindutva is an all encompassing ideology of RSS. This is the reason why RSS never has RSS Muslim shakha (daily assembly) or RSS Christian shakha. Anyone can become a member of RSS as long as they are ready to respect Bharat Mata (Mother India). RSS is against only those whose work against India's soverignty and heritage. In the famous Ranganathacharya Agnihotri case,  "Primafacie the RSS is a non-political cultural organization without any hatred or ill will towards non-Hindus", declared Karnataka High Court (then Mysore HC).
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" क्या भारत सरकार शान्ति व प्रगति हेतु धर्मांतरण / घर वापसी आदि की चर्चा तथा  इसके सार्वजनिक आयोजन को दंडनीय अपराध मानें ?? "
इसीप्रकार 

" क्या किसी नागरिक की निजी ईच्छा पर केवल कोर्ट में धर्म परिवर्तन / घर वापसी होने की शपथ प्रक्रिया को वैधानिक माना  जाए ?? " 


क्या आप की नजर में उपरोक्त प्रश्नों के सम्बन्ध में  मेरे द्वारा
मराठी भाषा में अभिव्यक्त निम्नलिखित विचार उचित है  ? :--



Thursday, 18 December 2014.

धर्मांतरण चर्चा नको, फक्त राष्ट्र संरक्षण व राष्ट्र प्रगतीसाठी चर्चा श्रेयस्कर.

१८ दिसंबर २०१४.
 धर्मांतरण चर्चा 

हा विषय मुळात भांडण-तंटे सुरु करून रक्त नासाडीचे 

 बी पेरणारा  व  मानव वितुष्टी वाढविणारा आहे. 

      ज देशाला प्रामुख्याने एकच गरज आहे, ती म्हणजे मानव व राष्ट्र संरक्षणा चे

आणि त्याच्या प्रगतीचे वळण लावणे, त्यां साठी प्रत्येक 
भारतीयाने झटणे, " वेगवेगळे

सर्व धर्म एकत्र करून फक्त एक राष्ट्रीय 
धर्म निर्मिती करणे आणि या राष्ट्रीय धर्माचे

बंधनकारक पालन करण्याचे  
संसदेत कठोर नियम तयार करणे /  "



सांसद मित्रांनो, संसदेत वाद घालण्या पेक्षा वर उल्लेखित सर्व कांहीं
व्यवहारात आले  तरचआजचे सर्व भारतीय आपल्या पूर्वजांचे वंशज म्हणविले जातील यांत शंका नाही  |


............. चंद्रकांत वाजपेयी . 
जेष्ठ नागरिक आणि गैरराजकीय सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद.
ई-मेल :  chandrakantvjp@gmail.com

 

1 comment:

  1. Nice Share..
    But I believe the world would be heaven if there were no fantasy called "Religion" or "GOD".

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