Monday, 23 July 2012

२५ जुलाई के पहिले इसे पढ़ना-समझना अनिवार्य है अन्यथा भारतीय हो जायेंगे " झिरो. "

22 / 07 / 2012 




२५ जुलाई के पहिले इसे पढ़ना-समझना अनिवार्य है 


 अन्यथा भारतीय हो जायेंगे " झिरो. "



'असीमित भ्रष्टाचार',  निश्चित रूप से देश में व्याप्त अनाचार-अनैतिकता 


महंगाई दु:ख लाचारी-बेबसी का कारक है।' भ्रष्टाचार ही देश के प्रत्येक 


नागरिक को दु:खी कर रहा है और इसी कारण इसकी पूर्ण समाप्ति आज 


हर व्यक्ति की पहली आवश्यकता बन चुकी है। 


'कर्क रोग की तरह व्याप्त भ्रष्टाचार रोकने का सर्वोत्तम उपाय "अण्णा 


के जनलोकपाल क़ानून को लागू करना है परन्तु शासनकर्ता अर्थात 


आजके राजनीतिक दलों से जुड़े लोग अपनें कर्तव्य के अनुसार इसे लागू 


करानें से कतरा रहे है। वे इसकी स्थापना में रूकावटे डालते है। यदि वे 


ऐसा नहीं करते है तो फिर वे केवल सत्ता से ही दूर नहीं होंगे बल्कि जेल 


भी जायेंगे। 

अब आप ही सोचिये " क्या राजनीतिक दलों के लोग स्वयं के पैरों पर 


कुल्हाड़ी मारेंगे? देश में भ्रष्टाचार को इमानदारी से समाप्त करना चाहेंगे?"


क्या ये लोग सच्चे राष्ट्रनिष्ठ - देशभक्त या देश के 'आम आदमी ' के हित


- चिन्तक हो सकते है ?



आम आदमी के हितो की रक्षा करने,भ्रष्टाचारमुक्ति के लिए जनलोकपाल 



कानून बनाने तथा देश के दागदार-भ्रष्ट शासन कर्ताओं पर लगे आरोपों 


की जांच के लिए " अति तीव्र-जांच प्रकोष्ठ '' की स्थापना करनें की मांग 


को लेकर अण्णा टीम के तीन युवा सर्वश्री अरविंद केजरीवाल, मनीष 


सिसोदिया और गोपाल रॉय "२५ जुलाई २०१२ से अपने प्राण न्योंछावर 


करनें पर आमादा हुवे है। ये तीनों युवा सकारात्मक निर्णय नहीं होनें 


तक पूरी तरह से भूख हड़ताल करनें जा रहे है । इनकी केवल इतनी 


अपेक्षा है की आम नागरिक अपने स्वयं के बच्चो-परिवारजनों की रक्षा 


व सुख के लिए निर्भीक होकर सड़क पर उतरे और उनकी मांगो का 


लिखित समर्थन करके सरकार को मजबूर करे। 
देशवासियों, मेरा आत्मिक निवेदन है कि स्वयं सोचिये आपको क्या 


करना चाहिए ? आपका क्या कर्त्तव्य है ?  कृपया नीचे लिखे दोनों 


विकल्पों  और  मेरी प्रार्थना-अपील का अध्ययन करें, तत्पश्चात

 स्वयं को जो उचित लगे उसका पालन करें. :---



(१) " क्या आपको अपने बच्चो के सुखद भविष्य के लिए प्राणों की 



       बाजी लगनें वाली अण्णा टीम का साथ इमानदार और निर्भीक


       नागरिक बनकर देना चाहिए और २५ जुलाई २०१२ से सड़क 


       पर उतरकर सरकार की कार्यप्रणाली के विरुद्ध निडरता के साथ


       खड़े रहना चाहिए ?
                                    अथवा



(२)   डरपोक रहकर, आम व्यक्ति के दु:ख - कष्ट बढानें वाली सरकार की


       भ्रष्टाचारी व्यवस्था को साथ देनें वाले नागरिक की भूमिका प्रस्तुत 


       करना चाहिए ? क्या सरकार का साथ देनें वाले आचरण से 


       भ्रष्टाचारियों को जो संरक्षण मिलेगा उसे देखककर आपके अपनें


       बच्चे आपके विरुद्ध खड़े होंगे / आपके सम्मान विरुद्ध शब्द प्रयोग


       करेंगे, क्या यह उचित होगा?


देशवासियों से देशहित में मेरी प्रार्थना और आग्रह है कि :--

" कृपया त्याग, तपस्या व बलिदान के लिए आहूत तथा अच्छाई- 


सच्चाई के लिए लड़नेंवाले अण्णा टीम के सभी महानुभावों का पूर्ण साथ 


दें। " २५ जुलाई २०१२ को स्वयं अनेक साथियो के साथ सड़क पर 


उतरकर अण्णा टीम को समर्थन देवें। स्वयं डरपोक व बिकाऊ ना बनें 


और अपनें बच्चों की रक्षा भ्रष्टता को संरक्षण देकर ना करें।
देशवासियों,  इस हेतु आपका अग्रिम हार्दिक आभार ।


--- चंद्रकांत वाजपेयी {जेष्ठ नागरिक व सामाजिक कार्यकर्ता} औ.बाद 

मो.+९१९७३०५००५०६. ई -मेल: chandrakantvjp@gmail.com





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