१० / १२ / २०१२.
क्या भारत में संवैधानिक व्यवस्था की अवहेलना हो रही है ?
विपक्ष का ध्यान क्यो नही ?
भारत के लिए यह अत्यंत महत्वपूर्ण और विचारणीय विषय है कि :---
( 1 ) भारत के कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल (कैबिनेटमंत्री) स्वयं कह चुके है कि आज संसद नैतिकता से काम नहीं करती है
और ना ही नैतिकता से संसद चल सकती है ।
( 2 ) क्यों एफडीआय के मसले पर कुछ दलों के सांसद (बसपा एवं सपा के सांसद) संसद के अन्दर अपनें संसदीय क्षेत्र के नागरिकों की राय संवैधानिक व्यवस्थानुसार रखते है और बाद में वोटिंग के समय जनता की राय के विरुद्ध वोटिंग करते है या राय के विरुद्ध संसद से पलायन करते है ? क्या यह सांसदो की असंवैधानिक कृति नही है ?
( ३ ) क्या यह परिस्थिति संवैधानिक व्यवस्था का हनन नहीं है ?
( ४ ) क्या उपरोक्त स्थिति में संसद में बननें वाले क़ानून या स्वीकृत होनें वाले सभी विधेयक अनैतिक तथा अवैध नहीं है ?
( ५ ) क्या इस तरह से संचलित संसद संविधान का उल्लंघन नहीं है ?
( ६ ) क्या ऐसी संसद को तुरंत बर्खास्त करके नैतिकता से
ओतप्रोत संसद कि स्थापना करना आवश्यक नहीं है ?
देश के प्रबुद्ध नागरिक एवं राष्ट्रहित चिन्तक राजनेता उपरोक्त बिन्दुओ पर विचार क्यों नहीं कर रहे है ?
क्या उपरोक्त बिंदु गलत है ?
चंद्रकांत वाजपेयी, (जेष्ठ नागरिक एवं सामाजिक कार्यकर्ता, औ.बाद )
chandrakantvjp@gmail.com +91 9730500506.
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