--- " यह पढना बहुत जरुरी है " ---
देशवासियों इसे जरुर - जरुर - जरुर पढें, और निर्भीक होकर प्रधानमंत्रीजी से अपना हक सुरक्षित करवाए ।
नहीं तो आपके अपनें पैसो के साथ
जिंदगी की सुरक्षा का हक भी छीन जाएगा ।
RTI Act. 2005 का मतलब "हर भारतवासी को सरकार के सारे कामो और खर्चों की जानकारी को पाने का पूरा हक |"
इस कानून के उपयोग से सरकारी काम में पारदर्शिता आती है जिससे क्रमश: नागरिकों के पैसे और जान-माल की रक्षा के अवसर बढ़ते है, भ्रष्ट्राचार -रिश्वत खोरी पर बंधन आते है व अपराधियों को दण्डित करने बाबद कानूनी या सरकारी वैध जानकारी मिलती है | नागरिकों के साथ होने वाले कई अत्याचार भी इस कानून के कारण सामनें आए है | इस कानून को हिंदी में " सूचना अधिकार कानून २००५ " कहा गया है | आजकल इस कानून के उपयोग की अधिकता के कारण ज्यादा से ज्यादा लोग जो भ्रष्ट्राचार के संरक्षक है जिनमें सरकारी अधिकारी - सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक और आर्थिक या अनैतिक अपराध से जुड़े राजनेता, सामान्य नागरिक और यहाँ तक की राजनीतिक दल भी है, कोर्ट द्वारा दण्डित या अपमानित हो रहे है | इसी के मद्देनजर केन्द्रीय सूचना आयोग नें कानूनी पहल करके राजनीतिक दलों को भी इस सूचना अधिकार कानून २००५, के अंदर शामिल किया है और इस बाबद आवश्यक व्यवस्थाओं के पालन का आदेश निकाला है | इस कारण केंद्र सरकार और भ्रष्ट राजनीतिकदल मिलकर RTI कानून का विरोध कोर्ट में करने के बजाय आगामी ०५ जुलै - २०१३ से शुरू होनें वाले मानसून सत्र में संसद में बिल पारित करके नागरिकों के इस अधिकार को समाप्त या अत्यंत कमजोर करने जा रहे है, इस सम्बन्ध में आज ही कैबिनेट मीटिंग में और सर्व दलीय बैठक में निर्णय होनें जा रहा है |
देशवासियों, वोट और सत्ता की राजनीति से दूर रहकर और निर्भीक होकर हम - आप मिलकर अपने अधिकार का संरक्षण करें यह आवश्यक है | अब केवल एक ही रास्ता है कि हम आगामी चुनाव की याद दिलाते हुवे सांसदों को इस कानून को कमजोर न होनें देनें के बारे में कहें और माननीय प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह साहाब को " ऑनलाइन पिटीशन " दायर करें | स्मरण रहे कि इसमें कोई पैसा खर्च नहीं होना है केवल निडर होकर अपनें अधिकारों का ( हक का ) , अपनें बच्चों का और देश का संरक्षण करना है | पिटीशन में जो लिखा जाना है वह नीचे दिया गया है, कृपया उसे पढें - समझे और उचित लगानें की स्थिति में स्वेच्छा से योग्य स्थान पर अपना नाम व पता लिखाकर प्रधान मंत्री जी को पिटीशन भेजकर अपना सूचना कानून अधिकार सुरक्षित रखावानें का प्रयत्न करें | विश्वास है कि आप यह सरल उपाय करेंगे, जिससे योग्य आवश्यक पिटीशन संख्या होनें पर प्रधानमंत्री जी को इस पर कार्यवाही करना आवश्यक होगा | धन्यवाद |
पिटीशन का प्रारूप ( अंग्रेजी में ) निम्नानुसार है :---
Contents of the online petition to PM
To,
Shri Manmohan Singh,
Prime Minister,
Government of India
New Delhi
Dear Mr Prime Minister,
India’s governance is going through a credibility crisis as never before, in which all sectors of governance and social formations have been suspect. The political establishment has come in for most severe criticism, just and unjust.
Perhaps the only real argument for the credibility of the government continues to be the enactment and implementation of the RTI Act....
Perhaps the only real argument for the credibility of the government continues to be the enactment and implementation of the RTI Act. It has been an entitlement, which has kept the intent of a free and open system of governance afloat. The multiple uses of the Act to improve government functioning are so many that they defy enumeration. The use of the RTI is therefore seen as the one stated intent of the government to lay itself open to scrutiny, and therefore accountability.
The series of attempts to amend the Act, which have arisen periodically, have since 2006 been nullified to a large extent by public pressure as well as the political will of a part of the establishment and government.
It is reported that the Government is considering the introduction of a bill in Parliament to amend the RTI law, as a sharp reaction to the recent Central Information Commission order, which declared six political parties to be public authorities under the RTI Act. Such a move to amend the Act will reinforce and confirm the suspicions of many that the political establishment intends to cover acts of corruption and arbitrary use of power.
We, as citizens of India, empowered by the RTI Act, demand that it not be amended. The Act has enabled the making of informed choices and strengthened participatory democracy; by enabling the citizens of India to monitor and access services throughout the country. Any amendment to the RTI Act would undermine and weaken the process of realizing various constitutional promises. In 2009, when amendments were being proposed to the RTI Act, the concerned minister of the government had assured Parliament, in response to a question, that “Non- Governmental Organisations and Social activists will be consulted on the proposed amendments.” We would, therefore, expect the government to hold wide ranging public discussions before they think of amending the law in any way.
We are confident that the government will recognise the force of our demand and not take steps to amend and thereby dilute the Right to Information law, which has been acknowledged in India and abroad, as an affirmation of the right of Indian citizens to participate in, and monitor, democratic governance.
Sincerely,
[Your name]
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