२२ / ०१ / २०१३.
प्रथम पत्र पर कोई कार्यवाही का संकेत नही मिला । योग्य परिणाम के अभाव में देश के हालात सुधारने के लिये दुबारा यही प्रयास दिनांक 20 नवंबर 2012 को किया, ( पूरा -पत्र नीचे दिया है )
लेकिन दुर्भाग्य से लगभग सभी दलो के राजनीतिज्ञो की तरह " श्री नितीन गडकरी जी और भाजपा मुख्यालय सहित अन्य नेताओ नें शायद सामान्य व्यक्ती द्वारा देशहित का विचार बताने पर आंखे व कान बंद कर लेना तथा सर्व सामान्य नागरिक को किसी पत्र का उत्तर नही देते हुवे उसका अपमान करना, यह नेता पद का गुणधर्म समझा है । मेरे उक्त दोनो पत्रो पर इसी गुणधर्म का अनुभव प्राप्त हुआ।
काश श्री नितिन गडकरीजी ०६ नवम्बर २०१२ को मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति द्वारा
फेसबुक और ट्विटर पर लिखे निम्नांकित विचारों पर अमल करते तो वे
स्वयं भा.ज.पा. के साथ देशभर में नैतिकता से ओतप्रोत कहलाते,
अत्याधिक सम्मान पाते और श्री यशवंत सिन्हा सहित अन्य भा.ज.पा.
नेताओं के लिए विरोधात्मक बोलनें का अवसर उत्पन्न नहीं होने देते।
काश मेरी बात मान ली जाती तो भाजपा की अंतर्कलह और वरिष्ठतम
कार्यकर्ताओं की आपसी फूट आज ना तो उजागर होतो और नाही साख की
हानि होती। दुर्भाग्य से आज भाजपा के सभी स्तरों के नेता कौंग्रेस के पद
चिन्हों पर चलते हुवे आम इंसान के विचारों को महत्त्व देना भूल चुके है
जो विनाश काले विपरीत बुद्धि का परिचायक है यह कहनें की आवश्यकता
नहीं है।
मेरे द्वारा देश में नैतिकता और आदर्श की स्थापना के साथ -
साथ भाजपा की सुरक्षा हेतु, ०६ नवम्बर २०१२ को उद्घृत विचार
निम्नानुसार थे:--
06 / 11 / 2012.
क्या श्री नितिन गडकरीजी आदर्श व समर्पण का परिचय देंगे ?
अवसर, भाजपा की सुदृढ़ता और स्व-नैतिकता के मद्दे नजर स्वयं
उनसे अपेक्षित है | " इस समय उन्होंने उनके विरुद्ध चल रही
शासकीय जांच की रिपोर्ट आनें तक दल के अध्यक्ष पद पर रहनें के
बावजूद अपना कार्यभार उपाध्यक्ष को या अन्य किसी को जिन्हें पार्टी
अधिकृत करे, सम्भलवाकर अवकाश पर चले जाना चाहिए | इसके
पार्टी के समस्त निर्णयों के लिए स्वयं को मुक्त कर लेना चाहिए|
शायद यही समर्पण उनके द्वारा देश के नागरिकों और भारतीय जनता
पार्टी को दिया जानें वाला जीवन का सर्वश्रेष्ट उपहार तथा त्याग व
चुनौती का परिक्षण होगा|
" जब भ्रष्ट्राचार के आरोप भरे में अंधेरे डुबे हम, तब आदर्श तथा नैतिकता की ज्योती कैसे बुझाये हम ?
भाजपा और श्री नितीन गडकरी जी अपनी साख बचाये,अति भ्रष्ट्राचार की गंदगी का लाभ लेकर झूठे या सच्चे आरोपो -प्रत्यारोपो से देश में बार - बार स्थापित हो सकने वाली अशांती थमे, नैतिकता और आदर्श की प्रस्तुती के मार्ग प्रशस्त हो इस हेतू 06 नवंबर 2012 को निम्नांकित निवेदन पत्र लिखा ( नीचे दिये गये पत्र के निचले भाग में यह पत्र प्रस्तुत है ) ट्विटर / फेसबुक सहित अनेक सोशल मिडीया के माध्यम से इन्हे सार्वजनिक किया । प्रथम पत्र पर कोई कार्यवाही का संकेत नही मिला । योग्य परिणाम के अभाव में देश के हालात सुधारने के लिये दुबारा यही प्रयास दिनांक 20 नवंबर 2012 को किया, ( पूरा -पत्र नीचे दिया है )
लेकिन दुर्भाग्य से लगभग सभी दलो के राजनीतिज्ञो की तरह " श्री नितीन गडकरी जी और भाजपा मुख्यालय सहित अन्य नेताओ नें शायद सामान्य व्यक्ती द्वारा देशहित का विचार बताने पर आंखे व कान बंद कर लेना तथा सर्व सामान्य नागरिक को किसी पत्र का उत्तर नही देते हुवे उसका अपमान करना, यह नेता पद का गुणधर्म समझा है । मेरे उक्त दोनो पत्रो पर इसी गुणधर्म का अनुभव प्राप्त हुआ।
परिणामत: अपमानित होकर कुर्सी से पदच्युत होना और अति मानसिक वेदना का अनुभव करना ऐसे नेताओ के भाग्य में स्थापित हो जाता है जिसे हर नेता याद रखे, कभी ना भूले।
श्री नितीन गडकरी जी को आज दिनांक २२जनवरी२०१३. को अध्यक्ष पद से त्याग पत्र देने के साथ अपमान व संत्रास भोगना पड रहा है, जिसका मुझे अत्यंत दु:ख है ।
काश, गडकरी जी मेरी बात मानते तो शायद भाजपा का संभावित नुकसान और कोई दु:ख ना होता।
कृपया पूर्व में सार्वजनिक किये निम्न को पत्र पढे और अपनी राय देवे ।
धन्यवाद ................ चंद्रकांत वाजपेयी ( जेष्ठ नागरिक )
दिनांक :-- २0 नोव्हेंबर २०१२.
जब आम आदमी के विचारों की होती है उपेक्षा .....
तब डूबती इज्जत, दूर होती सत्ता और पार्टी की होती अवदशा.
काश श्री नितिन गडकरीजी ०६ नवम्बर २०१२ को मेरे जैसे सामान्य व्यक्ति द्वारा
फेसबुक और ट्विटर पर लिखे निम्नांकित विचारों पर अमल करते तो वे
स्वयं भा.ज.पा. के साथ देशभर में नैतिकता से ओतप्रोत कहलाते,
अत्याधिक सम्मान पाते और श्री यशवंत सिन्हा सहित अन्य भा.ज.पा.
नेताओं के लिए विरोधात्मक बोलनें का अवसर उत्पन्न नहीं होने देते।
काश मेरी बात मान ली जाती तो भाजपा की अंतर्कलह और वरिष्ठतम
कार्यकर्ताओं की आपसी फूट आज ना तो उजागर होतो और नाही साख की
हानि होती। दुर्भाग्य से आज भाजपा के सभी स्तरों के नेता कौंग्रेस के पद
चिन्हों पर चलते हुवे आम इंसान के विचारों को महत्त्व देना भूल चुके है
जो विनाश काले विपरीत बुद्धि का परिचायक है यह कहनें की आवश्यकता
नहीं है।
मेरे द्वारा देश में नैतिकता और आदर्श की स्थापना के साथ -
साथ भाजपा की सुरक्षा हेतु, ०६ नवम्बर २०१२ को उद्घृत विचार
निम्नानुसार थे:--
06 / 11 / 2012.
क्या श्री नितिन गडकरीजी आदर्श व समर्पण का परिचय देंगे ?
यह सभी जानते है कि श्री नितिन गडकरी केवल भरत भूमि के परम वैभव के लिए जीनें
वाले, पूरी तरह से अनुशासित व ईमानदार लोगों के सानिध्य में छोटे के बड़े हुवे है । अर्थात राष्ट्रभक्त
संस्था आर.एस.एस. के वे अनुशासित और संस्कारित स्वयंसेवक रहे है ।
. इसलिए भारत के कल्याण, देश में आदर्श व्यवस्था की स्थापना के
अवसर, भाजपा की सुदृढ़ता और स्व-नैतिकता के मद्दे नजर स्वयं
गडकरीजी को बड़े उदारवादी मन के साथ आगे आना चाहिए, यह
उनसे अपेक्षित है | " इस समय उन्होंने उनके विरुद्ध चल रही
शासकीय जांच की रिपोर्ट आनें तक दल के अध्यक्ष पद पर रहनें के
बावजूद अपना कार्यभार उपाध्यक्ष को या अन्य किसी को जिन्हें पार्टी
अधिकृत करे, सम्भलवाकर अवकाश पर चले जाना चाहिए | इसके
अतिरिक्त श्री गडकरी जी नें उपरोक्त उल्लेखित अवकाश अवधि में
पार्टी के समस्त निर्णयों के लिए स्वयं को मुक्त कर लेना चाहिए|
शायद यही समर्पण उनके द्वारा देश के नागरिकों और भारतीय जनता
पार्टी को दिया जानें वाला जीवन का सर्वश्रेष्ट उपहार तथा त्याग व
चुनौती का परिक्षण होगा|
ऐसे कठोर समय भाजपा दल के कार्यकर्ताओं और संघ में उनके प्रतिनिष्ठा और विश्वास होनें के
बावजूद क्या श्री नितिन गडकरी जी उपरोक्त समर्पित कृति को चरितार्थ करनें का साहस दिखाएँगे
और देश के हर नागरिक के मन में स्वयं अपनी स्वच्छ छबि स्थापित करेंगे ?
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