'' क्या बनना है मानव या दानव ? ''
मातृभूमी, जन्मदाता मां अथवा प्यारी बहना
इनका आदर व रक्षा करनेवाले है मानव और अभिशेष सब दानव
हर प्रकार की सुरक्षा के लिए मानव मन पर स्व-नियंत्रण की
अत्याधिक आवश्यकता है । मन पर नियंत्रण के अभाव में ही असभ्य
घटनाओं का जन्म होता है । आज बलात्कार की घटनाओं से नारी
समाज असुरक्षित हो गया है । बलात्कार एक असभ्य घटना है - एक
विकार है और एक प्रकासे भ्रष्ट्राचार भी है, जिसके रोकथाम के लिए
शिक्षा पाठ्यक्रम और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी समावेशित
भ्रष्ट्राचारमुक्त भारत निर्माण आन्दोलन की ओर विशेष सार्थक प्रयास
करनें की आवश्यकता है । परन्तु जब देश में सरकार के प्रतिनिधियों
और राजनीति से जुड़े लोगों पर ही इस विकार के धनी होनें के आरोप
लगें और इन्हें उच्चतम न्यायालय तक जवाब देनें के लिए बाध्य
होना पड़े तो भविष्य क्या होगा ? ऊपर उल्लेखित उपाय कैसे स्वीकृत
होंगे ? शायद इसी कारण आज हर देशभक्त भारतीय समाजसेवी
अन्ना हजारे जी के भ्रष्ट्राचार मुक्ति आंदोलन से प्रेरित होकर स्वयं
निर्भीक होकर अत्याचार-व्यभिचारके विरुद्ध सड़क पर उतर गया है ।
क्या आप भी स्त्री अन्याय विरुद्ध संघर्ष में सड़क पर उतरे है न ?
यदि अभी तक नहीं तो भी कोई बात नहीं, अब उतरें अपनें माता -
बहनों की रक्षा का अपना कर्त्तव्य निभाएं और सच्चे देशभक्त बनें -
केवल मानव बनें। "
भारत में ऐसे ही होते है सच्चे पुत्र - सच्चे भाई यांनी सच्चे मानव । "
..... चंद्रकांत वाजपेयी. { जेष्ठ नागरिक एवं गैर राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद. }
chandrakantvjp@gmail.com
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