" भाजपा क्या करे ? "
पाभाजपा "
सर्वप्रथम भाजपा को यह प्रामाणिकता से समझना होगा कि
सर्वप्रथम भाजपा को यह प्रामाणिकता से समझना होगा कि
क्या भाजपा सत्ता के लिए पैसा और पैसे के लिए सत्ता बनाये ?
अथवा
राजनीतिक मंच पर देश में प्रचलित इस मंत्र को तिलांजलि दे ?
सत्ता के पीछे अण्णा का नहीं, राजनीतिज्ञों का और भारतीय जनता
पार्टी सहित सभी राजनीतिक दलों का भागना स्वाभाविक है."
इसलिये भाजपा स्वयं के हितों के लिए अण्णा पर आरोप ना लगाए,
अण्णा से ममत्व भाव रक्खे और उनके विरुद्ध बयानबाजी
ना करें, बल्कि देश के सच्चे हित के लिये
उन्हें अपना द्रोणाचार्य समझे और स्वयं को एकलव्य ।
" अण्णा के कठोर व सक्षम जनलोकपाल विधेयक को हुबहू
आगामी लोकसभा चुनावों के पूर्व संसद के दोनों सदनोंसे पास
करवानेंका काम भाजपा कर दिखाए और इसी आधार पर
वोट बटोरकर सत्ता पाये।"
क्या भाजपा चाणक्य निति से अण्णा के जनलोकपाल बिल को
हुबहू पास करवाने के साथ यह सिद्ध करेगी कि :-
(१) भ्रष्ट्राचारमुक्त भारत निर्माण करना भाजपा दल की उत्कट इच्छा है ।
(२) भाजपा ऋणात्मक या नकारात्मक स्थितियों को हर हालत में धनात्मक करनें में सक्षम है ।
(३) पेट्रोल, डिझल, एलपीजी और विभिन्न पेट्रोलियम पदार्थो के विकल्प न्यूनतम मूल्य पर
प्रस्तुत / उपलब्ध कर सकती है ।
( भाजपा उक्त उत्पादन / प्रबंध व्यवस्था का प्रारूप जिससे महंगाई ना बढे
और सामान्य नागरिक सानंद जीवनयापन कर सके, जनता के सामने प्रस्तुत करे। )
(४) देश की सीमाये और नागरिको के पूर्ण सुरक्षा प्रबंध का विश्वसनीय प्रारूप प्रस्तुत कर सकती है।
क्या भाजपा में उपरोक्त सब कुछ कर दिखानें की हिम्मत है ?
सच्चाई यह है की अण्णा को ना सत्ता का मोह है और
ना ही वोट बैंक की जरुरत है।
य ह स ब ज रू र ते भा ज पा को है ।
" यदि अण्णा को सत्ता मोह होता तो वे कई बार
विधायक, सांसद या मंत्री बन चुके होते।"
भाजपा स्वयं सोचे और बताये कि यदि ' अण्णा हजारे जी ' को सत्ता का
लोभ होता तो आज वे इसे पाने के लिए उनके अत्यंत निकटस्थ और
विश्वसनीय अरविन्द केजरीवाल तथा उनके राजनीतिक दल
" आम आदमी पार्टी " से स्वयं होकर दूर क्यों हो जाते ?
मेरे साथ आम जनता यह अपेक्षा करती है कि
सत्ता के लिए पैसा और पैसे के लिए सत्ता
के मंत्र को तिलांजलि देकर
भाजपा
किसी विशेष व्यक्ति - परिवार
व्यापार उद्योग समूह और राजकीय समूह के बजाय केवल देशहित
और लोककल्याण के लिए ही काम करे।
सत्ता प्राप्त करनें हेतु देश में नकारात्मक स्वर जगानें के बजाय
सकारात्मक कर्तव्य करके अपनी सांख मजबूत करे और
जनसेवक दल के रूप में शासन करे।
" उपरोक्त व्यवस्था की स्थापना के लिये शुभेच्छु."
............. चंद्रकांत वाजपेयी. { जेष्ठ नागरिक एवं सामा. कार्यकर्ता, औरंगाबाद.}
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