कृपया लोग अपने लाडले बेटे-बेटी के साथ
संभवित खिलवाड को रोकने के बारे में जागे ।
" किसी नें सच कहा है कि किसी भी विद्यालय की गुणवत्ता और देश की गाडी तीन पहियों पर चलती है, शिक्षक, अभिभावक और विद्यार्थी । आज का विद्यार्थी भविष्य में देश का संचालन करता है, अतः एक की कमी से शेष दोनों पूरी तरह कमजोर हो जाते हैं । "
' यह कडवा सच है कि आजकल शिक्षण संस्थाएं सेवाभावी नही, बल्कि व्यावसायिक बाजार हो गई है । आप स्वयं सोचिये कि जब आप दुकानदार से वस्तुओं के वजन की कमी या क्वालिटी का आकलन करते हैं तो फिर आपके अपने बच्चे की शैक्षणिक कमी का आकलन करना क्या आपका काम नही है ? ? '
" हर विद्यालय की अभिभावक समिती ने विद्यार्थी संरक्षण के लिए वर्षभर में दो/तीन बार विद्यार्थियों की अघोषित (रेन्डम) परीक्षा की व्यवस्था करना अथवा शिक्षकों द्वारा हर कक्षा के छात्रों को दिये गए अंको / ग्रेड का व्यावहारिक निष्पक्ष प्रामाणिक परिक्षण करके उसके आधार पर संबंधित शिक्षकों को सामाजिक सम्मान देना, पुरस्कृत करना, अतिरिक्त आर्थिक लाभ देना अथवा शिक्षकों की कमी को दूर कराने का प्रामाणिक प्रयत्न करना अधिक उचित व न्यायसंगत होगा । "
देश के नागरिकों और मित्रों, आईये, इस गंभीर विषय पर जागरुक होकर संभवित समस्या का समाधान उपर बताए अनुसार कर लिजिये, जो आपके बच्चों के सुदृढ जीवन के लिए आवश्यक है ।
....... चंद्रकांत वाजपेयी. [ ज्येष्ठ नागरिक.]
गैरराजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ता, औरंगाबाद (महाराष्ट्र)
ई-मेल :- chandrakantvjp@gmail.com
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