Saturday, 15 October 2016

देश में सर्वत्र व्याप्त दु:ख, महिला असुरक्षितता व बुराइयों का अंधियारा दूर भगानें आगे आएं , शिक्षा पाठ्यक्रम में अब केवल एक ज्ञानदीप जलाएं.

देश में सर्वत्र व्याप्त दु:ख, महिला असुरक्षितता

 

व  बुराइयों का अंधियारा दूर भगानें आगे आएं ,

 शिक्षा पाठ्यक्रम में अब केवल एक ज्ञानदीप जलाएं.




आदरणीय बड़े भाई साहाब, श्री राज जी, नमस्ते जी,

नाराज क्यों होते हों जी, हम मित्रता निभाते है जी,

हर माह लाइक या पोस्ट करते है जी, अत: दूर ना होंना जी, 

हम खुश है कि देश, प्रदेश व शहर में आपका ही राज है जी  |

आपके मन तथा कर्म देख, कुछ विश्वास किया है जी 

आपसे सकारात्मक काम होनें की उम्मीदे रखी है जी
.
आप सारे देश की माताओं-बहनों की रक्षा करेंगे जी,
छोटी और बड़ी बेटियों की रक्षा भी अब बहुत जरुरी है जी,


मात्र तीन साल की बच्ची तक हवस की बलि चढती है जी,

यह भारतवासियों को क्या हों गया है जी, ऐसा चरित्र क्यों जी ?



राज जी, नारी कष्ट इतने ? अब कुछ बतानें की जरूरत नहीं बची जी, 


भारतमें रेप औसत प्रतिदिन संख्या ९२ थी, अब बढकर १०३ हों गई है जी

.भ्रष्टाचार, घोटाले, कालाधन, धनलोभ, 

प्रलोभन, महंगाई, अत्याचार अभी भी है जी,

.
आखिर क्यों ? क्यों ? क्यों ?

आइये हम समस्या का कारण और हल ढूंढे जी  |


भाई साहाब जी, ज़रा सोचिये जी, हम कहाँ जा रहे है जी 

घर घर के सुसंस्कार लुप्त हों गए जी, मर्यादाए भूल गए जी, 

पाश्चात्य संस्कृति की शिक्षा-दीक्षा से आगे जीवन जीना है जी,

भारत के हर घर में शायदआज, यही सीख दी जा रही है जी, 

अपनी भाषा, अपनी सभ्यता, अब बैकवर्ड क्लास बना दी गई है जी,

भाई जी, पश्चिमी सभ्यता का आकर्षण, गाँव-खेड़े तक पहुंच चूका है जी. |



जरा सोचे, क्या पश्चिमी सभ्यता का आकर्षण, बड़ा भला है जी ?

.
क्या इससे हमारा देश व परिवार, विकास का कारक बना है जी ?
इधर भी देखो, क्या हमारी मानसिकता में कुछ बदलाव आया है जी ?

क्या परस्पर विश्वास, एकता, आदर और समरसता में घटौती हुई है जी ?

क्यों अमानवता, अनैतिकता व दुश्चरित्र,हवस व अपराधमें वृद्धि हुई है जी
???

मानव मन पर नियंत्रण का अभाव ही,

उपर बताए दुष्परिणामों की जड़ है जी  |



भाई जी, अब हमें उपरोक्त दुष्परिणामो को उखाड फेंकना है जी, 

इसके लिए घरों से सुसंस्कारों की आशा करना तो बेकार है जी,

सुसंस्कार मात्र मनपर नियंत्रण व इसके दैनिक अभ्यास से आएँगे जी,

इसलिए शिशुकक्षा से स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर तक का रुचिकर 

मनपर नियंत्रण का व्यावहारिक शिक्षाका पाठ्यक्रम बनवाना जरुरी है जी




जब भारत के गुरुकुलों में " मन पर नियंत्रण की शिक्षा देनें का प्रघात था,

तब भारत विश्वगुरु कहलाता था, क्योंकि तब शिक्षा में ह्रदय का जोड़ था 

शिक्षामें लेखनी,कथनी व करनी का समावेश था

डिग्री व मार्क्स लक्ष्य नहीं था.


दृदय का जोड़ मानवता, नैतिकता, राष्ट्रभक्ति,

आत्मीयता आदि गुण गढता था,

किन्तु लोर्ड मैकाले की शिक्षा पद्धति,

अंग्रेजो के काल का शिक्षा का वैशिष्ठ्य बना था |



क्यों मैकाले शिक्षा पद्धतीको अंग्रेजोके कालसे आजतक अपनाया गया जी

हां, मैकालेकी पाश्च्यात्य शिक्षा पद्धतीसे हाथ व बुद्धि जरुर सतेज होती जी 

किन्तु शिक्षामें ह्रदय तत्त्व अभावसे, नकारात्मक चरित्र गढ जाता है जी 

इसी कारण देशमें हर इंसान दु;खी-त्रस्त है जी

और नारी असुरक्षित हों गई है जी.





श्री राज चड्ढा जी, आपसे प्रार्थना है जी,


आप शासनको बताइये जी, उसे समझाइये जी,

शासन शिक्षा पाठ्यक्रम में उक्त तथ्य जोड़े,

और सुरक्षित स्त्री  और  दु:ख रहित, सुसंपन्न भारत बनाए जी |



.......... आपके छोटे भाई  ..........
चंद्रकान्त वाजपेयी. ( जेष्ठ नागरिक ) औरंगाबाद, महाराष्ट्र

Email :  chandrakantvjp@gmail.com

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