Monday, 20 February 2012


२० / ०२ / २०१२.   देश को मलाई चाहिए ?                                                    
                            दूध को औटाना पडेगा।
                        .......... चंद्रकांत वाजपेयी.

देश की परिस्थितियों और अनुभवों को ध्यान में रखकर आगामी आम चुनावों में विभिन्न बिन्दुओं के साथ साथ  निम्नांकित 'दो महत्वपूर्ण बिन्दुओं पर'  " चुनाव सुधार " आवश्यक प्रतीत होते है.


 " चुनाव सुधार प्रक्रिया विषय पर विचार करनें और निर्णय लेकर उसे व्यवहारिक प्रक्रिया से जोडनें के लिए अधिकृत भारत सरकार के सभी अधिकारी /  राष्ट्रिय स्तर के जनप्रतिनिधि और सभी राजनितिक दलों से यह अपेक्षा है कि देश हित में निम्नांकित दोनों बिन्दुओं पर क्रियान्वयन हो." 


(१) प्रधानमंत्रीपद किसी पार्टी, परिवार या व्यक्ति के प्रति वफादार व जिम्मेदार न होकर सीधे देश के प्रति वफादार व जवाबदेह हो। इसके लिए प्रधनमंत्री का सीधे जनता से चुनाव होना चाहिए।


(२) देश में अनिवार्य मतदान का कानून बनाना चाहिए, विश्व के 30 से भी ज्यादा देशों में अनिवार्य मतदान का कानून है और इससे वहाँ पर स्वस्थ्य लोकतन्त्र है। मतदान करना हमारा मात्र एक अधिकार ही नहीं अपितु लोकतांत्रिक कर्त्तव्य व धर्म है। मतदान न करने वाले नागरिक को राष्ट्र के नागरिक होने के नाम पर प्राप्त होनें  वाली सुविधओं से वंचित या उनमें कटौती करने का प्रावधन होना चाहिए।


" राष्ट्रहित सर्वोपरि " अत: उपरोक्त कार्यवाही अपेक्षित है।


प्रेषक: चंद्रकांत वाजपेयी, एल-१/५ , कासलीवाल विश्व, उल्कानगरी, गारखेडा, औरंगाबाद. ४३१००५.मोबाइल क्र. +९१९७३०५००५०६.ई - मेल : chandrakantvjp@gmail.com

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