Monday, 20 February 2012


२१ / ०२ / २०१२. 
कृपया सोचें 
" नेता कौन ?  कौन - किसकी बात मानें ? "   

 अपनें को नेता कहनें वाला नेता के योग्य है या नहीं ? 

क्या नेता को देशभक्त होना चाहिए ?

क्या वह नेता होता है जो देश के क़ानून तोड़े ?

क्या उसकी बातें मानकर वोट देनें चाहिए, जो नागरिक सुरक्षा के लिए बनें धारा १४४ के क़ानून तोड़े और जिस पर कोर्ट में मुकदमे और कुछ  ऍफ़आयआर दर्ज हो ?

क्या क़ानून तोड़नें वाला देशभक्त होता है ?

एकही उत्तर है की आप स्वयं नेता है. आप हमारे भी नेता है, बशर्ते आप देश के कानून का उल्लंघन नहीं करते, आपके विरुद्ध कोई अपराधिक मुकदमा / ऍफ़आयआर दर्ज नहीं है और भविष्य में भी यही स्थिति बनाकर रखेंगे, आप सभी सार्वजनिक हित के कार्यों में खुले दिल से सहकार्य करते हैं, आप स्नातक तक पढाई कर चुके है, आपकी आयु ६०वर्ष से ज्यादा नही है, आप किसी धर्म, जाती, भाषा या प्रांत के प्रति विशेष आसक्त न होकर समभाव रखते है. इतना ही नहीं आपअपने स्वयं के और खून के रिश्ते दारो के आर्थिक आय-व्यय को हर चार माह में वेब साईट पर सार्वजनिक करनें तथा कोई आर्थिक, भावनिक अथवा शारीरिक अपराध घटित नहीं होनें देनें के लिए वैधानिक तरीके से वचन बद्ध है तो, आगामी चुनाव में आप हमारे उम्मीदवार ही नहीं जन प्रतिनिधि होंगे. देश को आपकी ही जरूरत है. आप देश के लिए जियेंगे ?
आपकी जय हो.  जय हिंद.  जय भारत.


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