Monday, 6 August 2012

" मै भी अन्ना तू भी अन्ना अब कितनें बनेंगे, ऐसे अन्ना ? "

०५ / ०८ / २०१२.     


" मै भी अन्ना तू भी अन्ना अब कितनें बनेंगे, ऐसे अन्ना ? "



में इस बात पर गौर करना होगा कि अन्ना नें कभी भी सत्ता प्राप्ति के लिए कोई आन्दोलन नहीं किया 
है। उनके सभी आन्दोलन केवल भ्रष्टाचारमुक्त भारत बनाने के लिए रहें है या आम जनता के अधिकारों की 
रक्षा के लिए रहें है। ७५ वर्ष के बुजुर्ग अन्ना ने केवल इसी उद्देश्य पूर्ति के लिए अनेक सरकारों, मंत्रियो 
और हर स्तर के राजनेताओं से लड़ाई लड़ी है। वे आज भी लड़ रहे है। उन्होंने कभी जेल जानें की चिंता 
नहीं की और अनेकबार जेल यात्राएं - यातनाये आनंद के साथ भोगी। यदि उन्हें ऐश आराम की जिंदगी से
तनिक भी मोह होता तो वे कभी भी महाराष्ट्र से बिना किसी परेशानी सांसद बन सकते थे और आराम की 
जिंदगी गुजार सकते थे। कोई भी पार्टी उन्हें सादर आनंद के साथ टिकिट दे देती और सांसद - मंत्री बना 
देती। उन्हें इस प्रकार के प्रस्ताव भी मिले थे, परन्तु उन्होंने इन प्रस्तावों को ठुकरा दिया। उन्होंने कभी
भी चुनाव लड़नें का नहीं सोचा और आज भी वे स्वयं ना तो चुनाव लड़ना चाहते है और नाही राजनीतिक
दल निर्मित करना चाहते है। उनके साथ समाज की आत्मीयता और लोकप्रियता इतनी अधिक रही है कि
वे निर्दलीय रूप से भी चुनाव जीत सकते थे। मगर उन्होंने ऐसा नहीं किया।

अभी हाल ही अन्ना नें राजनीतिक विकल्प देनें की बात कही है; मेरी निजी सोच के अनुसार " अन्नाजी
का राजनीतिक विकल्प का अर्थ " देश के संचालन की व्यवस्था उन सज्जनों के हाथो में पहुचाना 
है, जो हायकमांड के बजाय देश के लिए जनता के द्वारा आदेशित हो, जनता के प्रति पूर्णत:प्रामाणिक हो, 
सज्जन व विनम्र हो। वह धन मोह से विरक्त स्वभाव के निर्भीक, भ्रष्टाचार विरहित, चारित्र्यवान, कर्मशील
और विकास के मार्ग प्रशस्त करनें वाले हो। ऐसे व्यक्ति विभिन्न राजनीतिक दलों के भी हो सकते है,
जिन्हें अन्ना साथ देना चाहते है। बशर्ते किसी राजनीतिक दल से जुडा वह व्यक्ति जनलोकपाल की 
स्थापना करने के प्रति पूरीतरह से दृढ़ हो, देश की जनता और देश की भावना को सर्वोपरि रखते हुवे
किसी भी परिस्थिति में स्वयं किसी भी प्रकार के क़ानून का उल्लंघन करनेवाला नही हो। "


अन्ना भारत के संविधान के अनुसार आम जनता को देश का सच्चा मालिक - देश निर्माण का शिल्पकार 
बनाना चाहते है और देश निर्माण कार्य में जनता के अधीन कुछ प्रतिनिधियों को जिन्हें हम सांसद 
विधायक / पार्षद या जनप्रतिनिधि कहते है, को सच्चे सेवक के रूप में स्थापित करनें की मंशा रखते है। 
इस महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए ही अन्ना जीवन के अंतिम क्षण तक संघर्ष करनें के लिए दृढ़ता से खड़े
है। वे बिना किसी बैंक बैलेंस के साथ आजीवन बेदाग़  रहकर, सन्यासी की तरह एक - दो जोड़ी कपडे,
खाने की प्लेट और बिस्तर रखकर जीवनयापन कर रहे है । 


अब बताओ  मै भी अन्ना, तू भी अन्ना कहनें वाले कितने लोग सच्चे- 


और अच्छे अन्ना जैसे बन सकते है ?







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